मधुमेह एक जानलेवा बीमारी है जो पूरे शरीर को बुरी तरह से खा जाता है। आज कल बड़ों में तो मधुमेह की बीमारी देखने को मिल ही रही है बल्कि बच्चे भी इस बीमारी का शिकार होते नजर आ रहे हैं। अगर आपके बच्चे को मिनट-मिनट में प्यास लगती है, भूख बढ जाती है या फिर बार-बार पेशाब करने की इच्छा होती है तो इसे नार्मल ना समझे। मधुमेह यानी की डायबिटीज की बीमारी इतनी ज्यादा घातक हो सकता है कि इससे बच्चों की आंखे और किडनियों पर बुरा असर पड सकता है।
अगर आपके बच्चे को बहुत जल्दी-जल्दी प्यास लगती है, ज्यादा भूख लगती है, या फिर वो बार-बार पेशाब करने जाता है, तो इसे सामान्य ना समझे। डायबिटीज की बीमारी आपके बच्चे के लिए इतनी ज्यादा खतरनाक हो सकती है कि इससे उनकी आंखें और किडनियां तक प्रभावित हो सकती हैं। आइये जानते हैं कि बच्चों में डायबिटीज के लक्षणों को हम किस प्रकार पहचान सकते हैं-
ज्यादा प्यास लगना
जब बच्चों में शुगर लेवल असामान्य रूप से बढ़ जाता है, तो उन्हें बहुत ज्यादा प्यास लगती है। वो पानी पीने के अलावा, जूस और कोलड्रिंक जैसी लिक्विड चीजों का भी ज्यादा सेवन करना चाहते हैं। अगर आपके बच्चे की प्यास अचानक से काफी बढ़ गई है तो आप उसे डॉक्टर को दिखाना न भूलें।
बार-बार पेशाब लगना
डायबिटीज का ये सबसे सामान्य लक्षण है, जो बड़े लोगों में भी पाया जाता है। जब बच्चे की प्यास बढ़ेगी और वो ज्यादा लिक्विड लेगा तो जाहिर है, उसे बार बार पेशाब जाना पड़ेगा। अगर आपके बच्चे में ऐसा लक्षण दिख रहा है तो होशियार हो जाइये, ये लक्षण डायबिटीज की शुरुआत भी हो सकती है।
भूख बढ़ना वजन कम होना
बच्चे को अगर डायबिटीज की समस्या हो जाए तो अक्सर उनकी भूख बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए होता है कि उनमें ऊर्जा की कमी हो जाती है, इस कमी को दूर करने के लिए शरीर को खाना चाहिए होता है। डायबिटीज की बीमारी होने के बाद बच्चा कितना भी ज्यादा खाना खा ले, लेकिन उसका वजन बढ़ने की बजाए कम होने लगेगा। डायबिटीज से ग्रस्त बच्चों का ये सबसे सामान्य लक्षण होता है।
थका हुआ रहना
डायबिटीज से पीड़ित बच्चे सामान्य बच्चों की तरह सक्रिय नहीं रहते। इन्सुलिन की मात्रा घटने के कारण बच्चों में ऊर्जा की कमी हो जाती है। वो थके थके और बाकी बच्चों की तुलना में सुस्त लगने लगते हैं।
अगर आप अपने बच्चे में इन लक्षणों को शुरुआत में ही पहचान लेते हैं, तो आपका बच्चा इस समस्या से जल्दी मुक्त हो सकता है। डायबिटीज में खास देखभाल और परहेज की जरूरत होती है। एक बार आप उसकी बीमारी को पहचान लें, उसके बाद आपके बच्चे का इलाज संभव हो जाएगा।
Diabetes तीन किस्म की हो सकती है जिनके बारे में हम नीचे बात कर रहे है –
Type 1 diabetes / टाइप वन डायबिटीज – इस तरह के diabetes में हमारे रोगी के शरीर में insulin नहीं बनता है जिसकी वजह से insulin की कमी हो जाती है और ऐसे में इस तरह के Type 1 diabetes से ग्रस्त रोगी को फिर अपनी पूरी जिन्दगी insulin को बाहर से इंजेक्शन के जरिये लेना पड़ता है |
Type 2 diabetes / टाइप 2 डायबिटीज – इस तरह के diabetes में रोगी के शरीर में insulin बनता तो है लेकिन वो शरीर में सही से काम करने के लिए काफी नहीं होता है और diabetes के जितने रोगी है उनमे से 90 प्रतिशत इसी से ग्रस्त है | इस तरह के diabetes को control किया जा सकता है और इसके लक्षणों को कम प्रभावी करने के लिए अपना वजन कम करना , रेगुलर व्यायाम करना , healthy diet को फॉलो करना और अपने blood में glucose को लगातार monitor करना आदि तरीके अपनाएं जा सकते है | जिन लोगो का वजन अधिक होता है या फिर जो मोटापे के शिकार होते है उन लोगो में इस तरह के diabetes का खतरा होने की सम्भावना उन लोगो से अधिक होती है जो कम मोटे होते है | गलत खानपान की आदतों की वजह से भी diabetes होने का खतरा बढ़ जाता है |
Gestational diabetes /गर्भावधि मधुमेह – यह उन महिलाओं को अपनी चपेट में लेता है जो गर्भ से होती है और ऐसी महिलाएं जिनके blood में glucose की मात्रा अधिक होती है लेकिन शरीर में बनने वाला insulin इतना अल्प हो कि वो उसे नियमित कर पायें ऐसी स्थिति में यह होता है हालाँकि इसे उसी समय डॉक्टर की देख रेख और healthy diet और exercise के साथ control किया जा सकता है | अधिक वसायुक्त भोजन और एनिमल वसा से युक्त भोजन करने से भी यह समस्या होने की सम्भावना कई गुना बढ़ जाती है |
Diabetes का निर्धारण उसके symptoms के आधार पर किया जा सकता है और अगर आपको लगता है ये लक्षण diabetes symptoms है तो तुरंत उन्हें पहचान कर आप डॉक्टर से सम्पर्क कर सकते है और चीजो में बदलाव कर सकते है |
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