पिछले कुछ दिनों से न्यूज़ पेपर में आ रही खबरों ने पेरेंट्स की नींदे उडादी है| पिछले हफ्ते मुंबई के 13 साल के एक लड़के ने 5 मंजिला इमारत से कूद कर अपनी जान दे दी इसके कुछ दिनों बाद ही शोलापुर महाराष्ट्र का 7वी क्लास में पढ़ने वाला बच्चा एक दिन अचानक अपने घर से गायब हो गया जो पुलिस को वहाँ से 25 किलोमीटर दूर पुणे की बस में मिला| इसके कुछ ही घंटों के बाद इंदौर मध्यप्रदेश के ७वी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे ने अपने स्कूल की छत से कूदने की कोशिश की जिसे उसके क्लासमेटस ने देख लिया और उसे बचा लिया गया| ये तीनों बच्चे एक ऑनलाइन चेलेंज गेम “ब्लूव्हेल “ के एडिक्टेड थे जिसमें प्लेयर्स को 50 दिन तक हर रोज़ एक टास्क दिया जाता है और लास्ट टास्क के रूप में उन्हें अपनी जान देनी होती है|
लेकिन तीनों ही मामलों में पेरेंट्स को ये मालूम ही नहीं था कि उनके बच्चे किसी ऐसे गेम का पार्ट बन रहे है और ऐसे चेलेंज को कम्पलीट कर रहे है जो उन्हें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से कमजोर बनाकर उनकी जान तक ले लेंगे / इसलिए इस गेम से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बाते हमें जानना जरूरी है जिसके कारण पूरी दुनिया में 300 से ज्यादा बच्चों की जाने जा चुकी है और दिन पर दिन ये आंकड़ा बढ़ता ही चला जा रहा है / इसे बनाने वाले 21 साल के फिलिप बुदिकिन को गिरफ्तार किया जा चूका है पर ये गेम अभी भी ऑनलाइन उपलब्ध है और लाखों की संख्या में स्टूडेंट्स इसमें रजिस्ट्रेशन करवा चुके है /इस गेम का सोशल नेटवर्किंग साइट्स और मैसेजिंग एप के माध्यम से प्रचार प्रसार किया जाता है, विशेषतः ऐसे ग्रुप जिसमें जिन्दगी के नकारात्मक पहलुओं और आत्महत्या जैसे विचारो को बढ़ा- चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है / इस गेम में रजिस्ट्रेशन के बाद प्लेयर को एडमिनिस्ट्रेटर के दिए हुए टास्क को 5० दिन तक हर रोज़ करना होता है जिसमें किसी ब्रिज या छत के किनारे खड़े होना, क्रेन पर चढ़ने, अपने हाथ या पैरो में सुई चुभोने, आधी रात को कोई हॉरर मूवी देखने से लेकर ब्लेड से अपने हाथ पर व्हेल की आकृति बनाए जैसे कई टास्क होते है / इनमें से हर एक टास्क के पूरा होने पर एडमिनिस्ट्रेटर को प्रूफ के रूप में विडियो या फोटो भेजना होता है और लास्ट टास्क के रूप में किसी ऊँची बिल्डिंग से कूदकर अपनी जान देनी होती है|
अगर कोई बच्चा डर जाता है और गेम बीच में छोड़ना चाहता है तो एडमिनिस्ट्रेटर उसे धमकाते है कि उनके पास बच्चे की पूरी जानकारी है और अगर वो गेम बीच में छोड़ता है तो उसे या उसके परिवार के सदस्यों को वो नुकसान पंहुचा सकते है / मतलब एक बार रजिस्टर कर लेने के बाद बच्चा गेम बीच में नहीं छोड़ सकता और हर टास्क को कम्पलीट करने का उसके उपर प्रेशर होता है / इसी तरह के कई और गेम भी है जो बच्चो के लिए जानलेवा साबित हो सकते है / इनसे बचने के लिए हर पेरेंट्स को कुछ जरुरी बातो को ध्यान रखना होगा|
1. इस तरह की गतिविधियों में या गेम में वो बच्चे ज्यादा इन्वोल्व होते है जो पहले से कही ना कही अकेलेपन, निराशा, तनाव या अवसाद से जूझ रहे होते है / इन गेम्स के माध्यम से वो लोगो का अटेंशन पाना चाहते है, उन्हें दिखाना चाहते है कि वो किसी से कम नहीं है और वो चेलेंज ले सकते है पर बाद में इनके जाल में उलझकर रह जाते है / इसलिए सबसे जरुरी चीज ये की आप अपने बच्चे के लिए नियमित रूप से समय निकले / उससे उसके स्कूल, दोस्त, टीचर्स, एक्टिविटी आदि के बारे में बातचीत करते रहे / उसके विचारो और भावनाओं को समझे और उन्हें महत्व दे / अगर आपको ऐसा महसूस हो की आपके बच्चे की कोई फ्रेंड्स नहीं है या उसके विचारो, भावनाओं, आदतों में किसी भी तरह का बदलाव अचानक दिखने लगे, या फिर वो किसी भी तरह की शैक्षणिक, सामाजिक, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक समस्या से जूझ रहा हो तो बिना कोई देर किये साइकोलोजिस्ट, साइकोलॉजिकल काउंसलर या स्कूल काउंसलर से तुरंत बात करे|
2. अपने बच्चे को बार-बार ये याद दिलाते रहे की उसे किसी भेड़चाल का हिस्सा नहीं बनना है और किसी भी ऐसे काम को करने के लिए प्रेशर एक्सेप्ट नहीं करना है जो उसके लिए किसी भी तरह से असुक्षित हो / उसे बताये की कोई भी चीज़ जो उसके शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक संतुलन को बिगाड़ रही हो या परेशान कर रही हो; उसे करने के लिए वो मना कर सकता है और ये बिलकुल नार्मल है /
3. बच्चों के किसी भी एक्टिविटी के इन्वोल्वेमेंट की खबर सबसे पहले उसके दोस्तों को होती है इसलिए उसे ये भी बताये कि अगर वो अपने किसी क्लासमेट का कोई नकारात्मक गतिविधि में झुकाव देखता है तो वो आपसे, उसके पेरेंट्स से या अपने किसी विश्वसनीय टीचर से जरूर कहे /
4. अपने बच्चे को ये भरोसा दिलाये कि आप उसके साथ है और की भी परेशानी आने पर वो सबसे पहले आपसे बाते शेयर करे /
5. आपका बच्चा मोबाइल का क्या उपयोग कर रहा है इसे मॉनिटर करे, उसका मोबाइल फ़ोन यूज़ करने का टाइम सेट करें और जहाँ तक जरूरी हो सिर्फ वहीं तक ही मोबाइल यूज़ करने दे / आप अपने मोबाइल पर पैरेंट कंटोल सेट कर सकते है /
6. लेकिन सबसे जरूरी चीज़ ये कि सही-गलत, अच्छे-बुरे का बोध दिए बिना सिर्फ अपने स्टेटस का सोचकर या बच्चों की ख़ुशी को देखकर उसे महंगे से महंगा मोबाइल फ़ोन लाकर देने के पहले आपको सोचना होगा कि आपके बच्चे को उसकी कितनी जरूरत है ? और अगर सचमुच जरूरत है तो क्या कोई और आप्शन नहीं हो सकता है / या अगर आप सिर्फ दूसरों की देखा देखी या बच्चों की जिद के कारण ऐसा कर रहे है तो आपको याद रखना होगा कि ये सोच ना तो आपको कोई फायदा देगी और न ही आपके बच्चों को /
बच्चों के पालन-पोषण से जुड़ी कई और समस्याओं और उनके निवारण के तरीकों के लिए हम बातचीत करते रहेंगे / इस बारे में अपनी राय जरूर दे
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