प्रीमेच्योर बेबी (प्रीमी) वह बच्चे होते हैं , जो आमतौर पर प्रेग्नेंसी के 37 हफ्ते से पहले पैदा होते हैं और समय से पहले जन्म लेने वाले इन शिशुओं का वजन भी काफी कम होता है ।ऐसे समयपूर्व जन्मे नवजात शिशु के बेहतर स्वास्थ्य तथा उसे कई तरह की बीमारियों से बचाने के लिए एक खास तरह की तरकीब अपनाई जाती है जिसे कंगारू मदर केयर या (के.एम.सी.)कहा जाता है .इस विधि में माँ नवजात शिशु को कंगारू की तरह अपनी स्किन से लगाकर रखती है .यह विधि इसलिए अपनाई जाती है ताकि शिशु का सर्वोत्तम विकास हो सके।
-कंगारू मदर केयर – के.एम.सी. के लाभ क्या है ?
1.के.एम.सी. से बच्चे का वज़न बढ़ता है
2.स्तनपान बेहतर होता है
3.शिशु का तापमान सही रहता है और वे इन्फेक्शन से भी दूर रहता है
4.बच्चे और माँ के बीच का रिश्ता मज़बूत होता है
5.हॉस्पिटल से जल्दी छुट्टी भी मिल जाती है
– क्या सभी बच्चों की केयर इस तरीके से की जा सकती है ?
जिन शिशुओं का वज़न जन्म के समय कम होता है या उनका जन्म समय से पहले होता है केवल उन्ही बच्चों की केयर इस तरिके से की जाती सकती है, लेकिन इन बच्चों की स्थिति होनी चाहिए, तभी वे के.एम.सी. के योग्य होंगे।
– क्या सभी माँ के.एम.सी. दे सकती है ?
सभी माँ अपनी जाति, धर्म, पढ़ाई, रंग–रूप,उम्र इत्यादि के भेदभाव के अपने शिशु को के.एम.सी. दे सकती हैं। इसके लिए माँ को के.एम.सी. अपनाने के लिए राज़ी होना चाहिए, माँ को कोई खतरनाक बीमारी नहीं होनी चाहिए, अपने आप को स्वच्छ रखना चाहिए, रोज़ नहाना चाहिए, रोज़ कपड़े बदलने चाहिए, अपने हाथों को हमेशा साफ़ रखना चाहिए और हाथों के नाखून साफ़ व छोटे रखने चाहिए।
– माँ के आलावा क्या कोई और के.एम.सी. दे सकता है ?
परिवार का कोई और सदस्य जैसे बच्चे के पिता, उसके दादा या कोई भी बच्चे को के.एम.सी. दे सकता है।
– के.एम.सी. की प्रक्रिया क्या होती है ?
शिशु की माँ को किसी रेक्लाइनिंग कुर्सी पर बैठना होगा, उसे ऐसे कपड़े पहनने होंगे जो आगे से खुल सके। साथ ही बच्चे को टोपी, जुराब, नैप्पी और आगे से खुलने वाले कपड़े पहनाएँ।
इसके बाद बच्चे को माँ का सीने पर पर सीधी पोजीशन में रखा जाता है। शिशु के सर को ऐसे रखा जाता है है कि उसका अपनी माँ के साथ ऑइ कांटेक्ट हो सके.साथ ही बच्चे के निचले हिस्से को माँ के हाथ से सहारा दिया जाता है और बच्चे को हाइपोथर्मिया से बचाने के लिए माँ के गाउन में रैप किया जाता है ।
– के.एम.सी. की अवधि कितनी होनी चाहिए ?
शुरुआत में कम–से–कम एक घंटा ज़रूर होना चाहिए और धीरे धीरे इसकी अवधि को बढ़ाकर माँ को पूरे दिन अपने शिशु को के.एम.सी. देना चाहिए। केवल नैप्पी बदलने के लिए ही बीच में रुकना चाहिए।
– के.एम.सी. के दौरान बच्चे को कैसे खाना खिलाना चाहिए ?
माँ अपने बच्चे को के.एम.सी. पोजीशन में ही स्तनपान करवा सकती है और इसके साथ ही बीच में माँ को भी चमच से खाना खिलाया जा सकता है।
– क्या के.एम.सी. घर पर दिया जा सकता है ?
हॉस्पिटल से छुट्टी मिलने के बाद के.एम.सी. घर पर भी दिया जा सकता है।
– के.एम.सी. कब बंद कर देनी चाहिए ?
जब आपके शिशु का जेस्टशन पूरा हो जाए या उसका वज़न 2.5 किलो तक हो जाए तो आप के.एम.सी. बंद कर सकते हैं। इसके आलावा जब भी माँ बच्चे को के.एम.सी. देने की कोशिश करे और बच्चा रोने लगे, असुविधाजनक महसूस करें या हाथ– पाँव मारने लगे तो यह आपका संकेत है कि अब के.एम.सी. बंद करने का समय आ गया है।
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