हर्निया रोग क्या है – कारण, लक्षण, जांच और उपचार

हर्निया रोग क्या है – कारण, लक्षण, जांच और उपचार

 

Medically Reviewed By
Dr. Poonam Kumar
MD (Obs & Gynae) Masters in Maternal & Fetal Medicine (Spain)
Chief Consultant
Fetal Medicine and Obstetrician & Gynaecologist

हर्निया (Hernia) आज एक आम रोग हो गया है लेकिन अभी भी बहुत से लोग पीड़ित हैं। लेकिन या तो वह इस बीमारी से अभी तक अनभिज्ञ हैं या फिर डॉक्टर के पास तभी जाते हैं, जब तकलीफ असहनीय हो जाती है। या ये कहे की आज की भाग दौड़ वाली जिंदगी में किसी के पास भी समय नहीं है की वो अपने शरीर का ध्यान रख सके !

आमतौर पर लोग हर्निया (Hernia) के इलाज से केवल इसलिए बचते हैं, क्योंकि उन्हें इसके लिए ऑपरेशन करवाना होगा। वे ऑपरेशन के डर से हर्निया का इलाज करवाने से बचते हैं, लेकिन वह यह नहीं जानते कि हर्निया का एकमात्र इलाज ऑपरेशन ही है। यह समस्या महिलाओं व पुरुषों दोनों को हो सकती है,

यदि उम्र के हिसाब से देखें तो यह या तो 10 साल से कम उमर के बच्चों या 40 साल की उम्र के बाद इसके होने के चांस ज्यादा होते हैं और जैसे जैसे उम्र बढती जाती है वैसे वैसे इस रोग के होने के चांस भी बढ़ जाते हैं पर यदि हम शरीर के प्रति जागरूक हैं और नियमित व्यायाम करते हैं प्राणयाम करते हैं तो हम सभी बिमारियों से बच सकते हैं !

हर्निया क्या होता है ? (What is a hernia ?)

मनुष्य के शरीर के अंदर कुछ अंग खोखले स्थानों में मौजूद होते हैं। इन खोखले स्थानों को बॉडी केविटी कहते हैं। दरअसल बॉडी केविटी चमड़ी की झिल्ली से ढकी होती है। जब इन केविटी की झिल्लियां कभी-कभी फट जाती हैं तो अंग का कुछ भाग बाहर निकल जाता है। इस विकृति को ही हर्निया कहा जाता है।

लंबे समय तक खांसी या भारी सामान उठाने के कारण मांसपेशियों के कमजोर हो जाने की वजह से हर्निया के होने की संभावना ज्यादा होती है। हालांकि हर्निया के कोई खास लक्षण नहीं होते, लेकिन कुछ लोग में सूजन और दर्द की शिकायत हो सकती है। इस प्रकार का दर्द खड़े होने, मांसपेशियों में खिंचाव होने या कुछ भारी सामान उठाने पर बढ़ सकता है। हर्निया वैसे तो एक बहुत ही सामान्य सी समस्या है किन्तु लापरवाही इसे गंभीर रोग में तब्दील कर सकती है। शरीर के कमजोर उतकों को ठेल कर बाहर निकल आए अंदरूनी अंग जख्मी हो सकते हैं तथा उनमें सडऩ तक पैदा हो सकती है।

इस को लेकर अधिकांश लोग लापरवाह होते हैं। इनमें भी उन महिलाओं की संख्या ही ज्यादा होती है जो इसे सामान्य विकार समझने की भूल करती हैं। महिलाओं में यह समस्या आम तौर पर प्रसव के बाद उत्पन्न होती है। वे डॉक्टर के पास तभी जाते हैं, जब उनकी पीड़ा बर्दाश्त से बाहर चली जाती है। कई लोग तो डॉक्टर के पास महज इसलिए नहीं जाते कि ऑपरेशन कराना पड़ेगा। वे ऑपरेशन के भय से अपनी बीमारी को बढ़ाते रहते हैं। पर अंतत: उन्हें ऑपरेशन कराना ही पड़ता है।

हर्निया होने के लक्षण (Hernia symptoms) 

  • पेट की चर्बी या आंतों का बाहर की ओर निकलना
  • चमड़ी के नीचे एक उभार महसूस होना
  • उभार में दर्द और भारीपन
  • खड़े रहने, मल-मूत्र त्यागने में परेशानी
  • अक्सर खांसने से या बहुत बुरी तरह खाँसी होना भी एक वजह हैं।
  • ज़्यादा छींकने से।
  • बहुत ज़्यादा और लगातार उल्टी होने से।
  • दबाव
  • तनाव
  • इसका मुख्य कारण पेट का मोटापा हो सकता हैं।
  • ये गर्भवती स्त्रियो को डिलीवरी के समय अधिक ज़ोर लगाने के कारण भी हो सकता हैं।

 हर्निया कितने प्रकार का होता है ? (What is the type of hernia ?)

  • नाभि का (अम्बिलिकल) हर्निया (Navel ( Ambilikl ) hernia):- नाभि हर्निया अर्थात अम्बिलाइकल हर्निया, हर्निया का ही एक साधारण रूप होता है। इस में पेट की सबसे कमजोर मांसपेशी, हर्निया की थैली नाभि से बाहर निकल आती है। यह कमजोर मांसपेशियों वाले या मोटे व्यक्तियों को अधिक होता है। हालांकि यह हर्निया के कुल मामलों का 8 से 10 प्रतिशत ही होता है।
  • वंक्षण हर्निया (Inguinal hernia) (डाइरेक्ट, इन्डाइरेक्ट):- यह जांघ के जोड़ में होता है। इस में अंडकोष  जांघ की पचली नली से अंडकोष में खिसक जाते हैं। ऐसा होने पर अंडकोष का आकार बढ़ जाता है। अंडकोष में सूजन हो जाने के कारण हाइड्रोसिल और हर्निया में अंतर करना मुश्किल हो जाता है। हर्निया का यह प्रकार पुरुषों में पाया जाता है। हर्निया के लगभग 70 प्रतिशत रोगियों को ये हर्निया ही होता है।
  • फीमोरल हर्निया (Femoral hernia):- फीमोरल अर्थात जघनास्थिक हर्निया, हर्निया के कुल मामलों में से लगभग 20 प्रतिशत ही होता है। इस में पेट के अंग जांघ की पैर में जाने वाली धमनी में मौजूद मुंह से बाहर निकल आते हैं। इस धमनी का काम पैर में खून की आपूर्ति करना होता है। फीमोरल हर्निया पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होता है।
  • इन्सिजनल हर्निया(Incisional hernia) :- पुरानी सर्जरी वाले स्थान से अंगों के बाहर निकलने कोइन्सिजनल हर्निया कहा जाता है।

हर्निया होने के कारण (Due to hernia) :- धूम्रपान, जन्म से, बढ़ती उम्र, चोट लगना, पुराना ऑपरेशन, भारी वजन उठाना, पुरानी खांसी, मोटापा, कब्ज, पेशाब में रुकावट, गर्भावस्था, पेट की मांसपेशियों की कमजोरी, पेट की मांसपेशियों में विकार।

हर्निया का उपचार (Treatment of hernia) :- इस का एकमात्र सफल और कारगर उपाय ऑपरेशन है, जिसकी अनेक विधियां मौजूद हैं। छोटे बच्चों के मामले में चीरा लगाकर या उभार वाले भाग को भीतर कर क्षतिग्रस्त हिस्से को रिपेयर कर देते हैं। मरीज के घाव भरने में 10 से 15 दिन का वक्त लगता है। मरीज को दो-तीन महीने तक भारी काम नहीं करने की सलाह दी जाती है।

दूरबीन पद्धति बेहतर विकल्प (Telescope system option)
दूरबीन पद्धति (लैप्रोस्कोपी)(laparoscopic hernia repair) से हर्निया के आपरेशन के अच्छे परिणाम सामने आते हैं और मरीज को एक-दो दिन में छुट्टी दे दी जाती है। कुछ ही समय में वह अपनी सामान्य दिनचर्या शुरू कर सकता है। इसमें टांके के निशान भी प्राय: दिखाई नहीं देते। 90 प्रतिशत मामलों में दोबारा हर्निया होने की आशंका नहीं रहती है। दस प्रतिशत प्रकरणों में वह दोबारा हो सकता है। जिस जगह से शरीर को भेदकर भीतरी अंग बाहर आ जाते हैं, उस स्थान को मजबूती देने के लिए मैश का इस्तेमाल किया जाता है। प्रभावित स्थान को मैश लगाकर मजबूत कर देने के बाद मरीज को दोबारा हर्निया होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।

हर्निया से बचने के उपाय (Tips to avoid hernia)

  • उन कार्यों से बचना चाहिए, जो हमारे पेट की मांसपेशियों पर अधिक दबाव डालते हों।
  • वजन भी संतुलित रखना चाहिए।
  • अगर कब्ज की समस्या है तो इसका तुरंत उपचार कीजिए।
  • रेशेदार पदार्थों का सेवन करें।

सावधानिया।

  • धूम्रापान, शराब का सेवन, मीट मांस, ये सब बंद कर दीजिये।
  • चाय कॉफ़ी का सेवन बंद कर दीजिये।
  • कभी भी पेट भर कर या भूख से ज़्यादा भोजन ना करे।

हर्निया के लिए सरल घरेलु उपचार(Simple home remedies for hernia)

  • रोगी को अधिक से अधिक पानी घूँट घूँट भर कर पीना चाहिए।
  • अगर रोगी का वजन बढ़ा हुआ हैं, तो सब से पहले उसको अपना वजन नियंत्रित करना चाहिए।
  • खाना खाने के तुरंत बाद रोगी को सोना नहीं चाहिए, थोड़ी वाकिंग ज़रूर करे।
  • 1 चम्मच सेब का सिरका भोजन के एक घंटे के बाद एक गिलास पानी में डाल कर धीरे धीरे घूँट घूँट कर के पिए।
  •  सुबह दोपहर और शाम आधा आधा चम्मच कच्चा जीरा चबा चबा कर खाए, और ऊपर से गुनगुना पानी पी ले।
  •  सुबह खाली पेट एलो वेरा जूस ज़रूर पिए, एक गिलास पानी में कम से कम ३० मिली एलो वेरा डालिये और इसको घूँट घूँट कर पी लीजिये।
  • शाम के समय2 केले रोज़ाना खाए।
  • अलसी (Alsi) एक सुपर फ़ूड हैं, गर्मियों में1 चम्मच अलसी के बीज कच्चे या भूने हुए और सर्दियों में ३ चम्मच खाए। इसमें मौजूद ओमेगा-3 (Omega-3) हायटल हर्निया (Haytl hernia)के लिए बहुत फायदेमंद हैं।
  • रात को एक चम्मच मेथी दाना एक गिलास पानी में भिगो कर रख दीजिये और सुबह मेथी दाना चबा चबा कर खा लीजिये और इस पानी को घूँट घूँट कर के पी लीजिये।
  • भोजन में जौं (oat) के आटे को शामिल करे।

मेथी दाना और दाल चीनी दोनों ही गर्म हैं, इस लिए गर्मियों में इन दोनों में से सिर्फ एक ही चीज इस्तेमाल करे।

हर्निया के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि भारी वजन उठाना, पुरानी खांसी, कब्ज, मोटापा, पेट की मांसपेशियों में कमजोरी, और पिछले ऑपरेशन का निशान।

हर्निया की जांच शारीरिक परीक्षण और चिकित्सा इतिहास के आधार पर की जाती है। डॉक्टर प्रभावित क्षेत्र की जांच करेंगे और आवश्यकतानुसार अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, या एमआरआई करवा सकते हैं।

यदि हर्निया का इलाज नहीं किया जाता है, तो यह खतरनाक हो सकता है और संक्रामक (स्ट्रैंगुलेटेड) हो सकता है, जिससे रक्त प्रवाह में रुकावट हो सकती है और उस क्षेत्र के टिश्यू मर सकते हैं।

हर्निया का उपचार अक्सर सर्जरी के माध्यम से किया जाता है। इसमें हर्निया को ठीक करने के लिए प्रभावित अंग को वापस अपनी जगह पर रखकर कमजोर मांसपेशियों को मजबूत किया जाता है।

हर्निया सर्जरी के बाद ठीक होने का समय व्यक्ति पर निर्भर करता है, लेकिन सामान्यत: मरीज एक से दो सप्ताह में सामान्य गतिविधियों में लौट सकता है। पूर्ण स्वस्थ होने में कुछ महीने लग सकते हैं।

हर्निया से बचाव के लिए भारी वजन उठाने से बचें, स्वस्थ वजन बनाए रखें, उच्च फाइबर आहार लें जिससे कब्ज न हो, धूम्रपान न करें और नियमित व्यायाम करें जिससे मांसपेशियां मजबूत बनी रहें।

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