शिशुओं को ऊपरी आहार | शिशु को कौन से शुरुआती आहार कब दिए जाएं?

शिशुओं को ऊपरी आहार | शिशु को कौन से शुरुआती आहार कब दिए जाएं?

ऊपरी आहार (Complementary Feeding)

ऊपरी आहार  का अर्थ (Meaning of Complementary Feeding):

  • ऊपरी आहार का अर्थ है अन्य आहार व तरल पदार्थ जो पूरक (Complementary) के तौर पर माँ के दूध के अतिरिक्त दिया जाता है, ना  कि माँ के दूध के स्थान पर।
  • स्तनपान (Breastfeeding) शिशु का सर्वोत्तम पोषण है। कम से कम छह महीने तक शिशु को स्तनपान कराना चाहिए।
  • स्तनपान दो वर्ष तक की आयु या उसके बाद तक भी करवाया जा सकता है।
  • स्तनपान कराने से बच्चो को सामान्य बीमारियां नहीं होती और इसमें बच्चो के विकास (Development) के लिए जरुरी सभी पोषक (Nutrients) तत्व होते है।
  • माँ के दूध से शिशु को पोषक के साथ-साथ रोगो से लड़ने की शक्ति मिलती है।

ऊपरी आहार का सही समय (Right time for starting complementary foods)

  • छह महीने पूरे होने के बाद बच्चे को माँ के दूध के साथ-साथ ऊपरी आहार देना बहुत जरुरी होता है, क्योंकि छह महीने के बच्चे की शारीरिक जरूरतें बढ़ जाती है, इसीलिए माँ के दूध के साथ ऊपरी आहार की शुरुआत करना अति आवश्यक है।
  • बच्चे की शारीरिक हलचल (Physical Activities)बढ़ जाती है, जिसके लिए अधिक ताकत की आवश्यकता होती है, इसीलिए माँ के दूध के साथ ऊपरी आहार की जरुरत होती है।
  • इस उम्र मे बच्चो का पाचन संस्थान (Digestive System) भोजन पचाने के लिए तैयार हो जाता है।
  • जो बच्चे माँ के दूध पर होते है उन्हें छह महीने तक माँ का ढूध सभी पोषक तत्व  (Essential Nutrients) प्रदान करता है।
  • 6 – 12 महीनों तक स्तनपान शारीरिक तौर पर आधा पोषण प्रदान करता है और 12 – 24 महीनों तक के बच्चो मे एक तिहाई पोषण प्रदान करता है।
  • शारीरिक पोषण के अलावा माँ का दूध बच्चे को बीमारियों से बचाता है और माँ का बच्चे के साथ लगाव (Emotional Bonding) को भी बढ़ाता है, जिससे बच्चे के मानसिक संतुलन (Psychological Development) की बढ़ोतरी होती है।
  • जो बच्चे ऊपर के दूध (Top Feed) पर होते है उन्हें छह महीने तक अन्य  किसी ऊपरी आहार की आवश्यकता नहीं होती।
  • छह महीने के पश्चात उन्हें अन्य ऊपरी आहार के अलावा सिर्फ 500ml दूध की आवश्यकता होती है।

 

ऊपरी आहार  कब/ क्या/ और कितनी मात्रा मे देना है ?

  • बच्चे का कोई भी कार्य करने से पहले जैसे बच्चे का खाना बनाना, दूध बनाना या फिर खाना खिलाने से पहले बच्चे व अपने हाथों को साबुन से अच्छे से धो लें।
  • सभी बर्तन जैसे bowls, cups ,plates आदि को अच्छे से धो लें।
  • सबसे बेहतर यह रहेगा अगर हम बच्चे के लिए एक अलग प्लेट रखे और बच्चे को उस में खिलाए।
  • ऊपरी आहार सफाई से पकाया, परोसा व खिलाया जाना चाहिए।

ऊपरी आहार कैसा हो?

  • शुरुआत में अन्य आहार मे चावल से बनी चीजे सबसे अच्छी होती है। ज्यादा पानी में उबले हुए चावलों को मसलकर दूध में मिलाकर दे सकते है।
  • केले को मसलकर शिशु को दे सकते है।
  • सेब, पपीता, चीकू और नाशपती उबालकर या मसलकर भी दे सकते है।
  • बच्चे का आहार हमें सही तरीके से शुरू करना चाहिए। शुरुआत हमें कार्बनहाईड्राट्स (Carbohydrates) (चावल,दलिया) से करनी चाहिए। फिर प्रोटीन्स (दालें,फलिया)और जो मासाहारी (Non vegetarian) हैं, वह शिशु को चिकन, फिश दे सकते है।
  • अनाज जैसे चावल, गेहूं, रागी।
  • स्टार्च युक्त सब्जी जैसे आलू, शकरकंद आदि।
  • स्टार्च युक्त फल जैसे केला आदि।
  • बच्चे का ऊपरी आहार ना ज्यादा पतला और ना ही ज्यादा गाढ़ा होना चाहिए।

ध्यान देने योग्य बातें:-

  • शुरुआत में एक बार में सिर्फ  एक आहार  शुरू करें। दूसरा आहार शुरू करने से पहले  3 – 4 दिन तक इंतज़ार करें, ताकि यह पता चल सके कि बच्चे को किसी चीज से एलर्जी तो नही है।
  • जब बच्चे ऊपरी आहार शुरू करते है तो उन्हें तीन चमच आहार दिन में दो बार से शुरू करना चाहिए और धीरे धीरे बढ़ाना चाहिए।

8 – 9  महीने की आयु के बच्चो का खाना:

  • नरम दाल, दलिया, दाल चावल, दाल रोटी प्रतिदिन धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाते हुए नियमित स्तनपान को साथ में जारी रखें ।
  • 7 – 8 महीने के बच्चे को तीन बार आहार (meals) खिलाएं अगर बच्चा किसी तरह का दूध पीता हो। अगर बच्चा दूध पर बिलकुल नही है तो पांच बार दिन में आहार दें।

9 – 11 महीने की आयु के बच्चो का खाना:

  • नौं महीने के बाद यदि किसी की family history  एलर्जी की न हो तो बच्चे को गेहू के पदार्थ जैसे bread , oats , pasta , cheese , eggs दे सकते है।
  • बच्चे को खुद खाने दे , खुद खाने से बच्चा अपनी पसंद से चीज़ो को खा सकता है।
  • बच्चे को हमेशा सादा पानी पीने को दे। खाना खाने के बाद ठीक आधे घंटे बाद बच्चे को उबला हुआ पानी ठंडा करके sip  by  sip  पिलाएं।
  • खाते समय जब बच्चा खाना मुँह से बाहर निकल दे या ना बोल दे तो समझ लेना चाहिए कि बच्चे का पेट भर गया है।
  • जब बच्चा बिना सहारे के बैठना शुरू कर दे तब बच्चे को सभी के साथ बिठा कर खाना खिलाये , इससे बच्चे का खाने में interest बना रहता है।
  • 9-11 महीने की आयु के बच्चे को दिन में तीन बार खाना खाने को दे और कुछ healthy snacks  भी दे सकते है।

12 महीने – 2 वर्ष  की आयु के बच्चो का खाना:

  • बच्चो को घर पर बना हुआ खाना ही खाने को दें।
  • इस आयु के बच्चे दिन में तीन से चार बार खाना खाते है।
  • मटर, beans ,दाल,nuts बच्चो के लिए लाभदायक होते है।
  • हरी पत्तेदार सब्जियां और फल बच्चो को स्वस्थ रखते है।
  • बीमार होने पर बच्चे को खाने पीने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • बच्चो के खाने में ज्यादा नमक न डालें, क्योंकि बच्चो के गुर्दे अभी पूर्ण रूप से विकसित नही हुए होते।
  • ज्यादा मीठे वाला खाना बच्चो से दूर रखें।

 

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